हर एक हिन्दुस्तानी की तरह, पिछले कुछ दिनों से मुझे भी एक अजीब सी घुटन महसूस हो रही थी कभी-कभी तो ऐसा लगता है मानो ये देश लोकतंत्र नहीं, अपितु भयतंत्र, भूखतंत्र या भ्रष्टाचार तंत्र हो जिसमे जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत पल-पल चरितार्थ हो रही है
ये देश लोकतंत्र न हो के एक ऐसा तंत्र बन गया है जहाँ ताकतवर जो चाहे कर सकता है, जिसे चाहे जान से मार सकता है, जिसे चाहे धमका सकता है, और न जाने क्या - क्या कर सकता है, जो आपकी और मेरी कल्पना से भी परे हैं मैंने कुछ चीजो को कल्पना से परे इसलिए बताया क्योंकि, कोई मनुष्य योनी में जन्मा व्यक्ति क्या अपनी बेटी से भी कम उम्र की लड़की को वासना की दृष्टि से देख सकता है ? हम कहेंगे नहीं , ये तो पशु पक्षियों में ही हो सकता है, लेकिन इस देश में जो सनातन परमपरा का अनुयायी होने का दंभ भरता है एसेलोग भी हैं और वो इतने ताकतवर है की न्यायपालिका उनके हाथों की कठपुतली और अफसर शाही उनकी नौकर है विधान पालिका मानो उनकी किसी पूर्व जन्म से ही कर्जदार है इसलिए उनके सामने बोलने यो तो उनकी खिलाफत करने का साहस उसमे नहीं है संसद में एसे मुदों पे बहस के दोरान हमारे प्रतिनिधि एसे प्रतिक्रिया करते हैं जैसे मंदारी का खेल देख कर तमाशबीन
पिछले वर्ष एक गुर्जर आन्दोलन के दोरान हुई कुछ आगजनी की घटनाओ को देख कर उच्चतम न्यायलय ने उसे राष्ट्रीय शर्म की संज्ञा दी थी क्या उससे पहले कभी किसी ने राष्ट्र को शर्मिंदा नहीं किया, और क्या उस दिन के बाद हम, हमारे राष्ट्र और समाज की इज्जत करना सिख गए हैं, तो फिर आज वो न्यायालय क्यों चुप है ये घटना राष्ट्र के लिए नहीं बल्कि मानवता के लिए शर्म है जिस न्याय व्यवस्था की उचतम न्यालय अगवाई करता है उस पूरी की पूरी व्यवस्था के लिए घोर शर्म है ये व्यवस्था कभी किसी कमजोर को न्याय दे ही नहीं सकती क्योंकि यहाँ ताकतवरों की लिस्ट इतनी लम्बी है की उनका बचाव करते करते ही सालों साल बीत जाते हैं डॉक्टर पंवार ने कितना सही लिखा है ' जी करता है फूल चढ़ा दूँ, लोक तंत्र की अर्थी पर'
लेकिन इन सब के बीच कोई ऐसा भी है जो पिछले दो दशकों से इस अर्ध मृत पड़े तंत्र को जगाने की कोशीश कर रही हैं अति विपरीत परिस्तिथियों में रह कर उन्हें सह कर भी जिन्होंने एक दोस्त का फ़र्ज़ निभाया जिन्होंने लगातार १९ साल तक न्याय के बंद पड़े दरवाजों में से भी हम सब को इक रौशनी की किरण दिखाई धन्य है रुचिका जिसे आराधना जैसी दोस्त मिली, सलाम दोस्ती !!!
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