आओ यारों निकल पड़ें अब , आई रुत ये सुहानी .
इन्कलाब की लिखेंगे अब मिलकर नई कहानी ।
देश बुलाता , आस लगाता ,
याद दिलाता अब हमको उन वीरों की क़ुरबानी
इन्कलाब की लिखेंगे अब मिलकर नई कहानी ।
एक जतिन था, एक भगत, एक सुभाष और एक था शेखर,
एक प्रताप था, एक था बिस्मिल, थी एक जीजाबाई ,
याद करों उन रण वीरों को और बोलो , क्या कोई है उनका सानी,
इसीलिए, इन्कलाब की लिखेंगे अब मिलकर नई कहानी ।
दौर नया है, लोग अलग हैं,
इस आज़ादी का एहसास अधूरा , पर जंग अपनी है ये पुरानी ,
इन्कलाब की लिखेंगे अब मिलकर नई कहानी ।
भय , भूख और भ्रष्टचार, अब नहीं सहेंगे,
बस कसम यही है खानी,
इन्कलाब की लिखेंगे अब मिलकर नई कहानी ।
इन्कलाब की लिखेंगे अब मिलकर नई कहानी ।
देश बुलाता , आस लगाता ,
याद दिलाता अब हमको उन वीरों की क़ुरबानी
इन्कलाब की लिखेंगे अब मिलकर नई कहानी ।
एक जतिन था, एक भगत, एक सुभाष और एक था शेखर,
एक प्रताप था, एक था बिस्मिल, थी एक जीजाबाई ,
याद करों उन रण वीरों को और बोलो , क्या कोई है उनका सानी,
इसीलिए, इन्कलाब की लिखेंगे अब मिलकर नई कहानी ।
दौर नया है, लोग अलग हैं,
इस आज़ादी का एहसास अधूरा , पर जंग अपनी है ये पुरानी ,
इन्कलाब की लिखेंगे अब मिलकर नई कहानी ।
भय , भूख और भ्रष्टचार, अब नहीं सहेंगे,
बस कसम यही है खानी,
इन्कलाब की लिखेंगे अब मिलकर नई कहानी ।