Friday, August 3, 2012

नई कहानी

आओ यारों निकल पड़ें अब , आई रुत ये सुहानी .
इन्कलाब की लिखेंगे अब मिलकर नई  कहानी ।

देश बुलाता , आस लगाता ,
याद दिलाता अब हमको उन वीरों की क़ुरबानी
 इन्कलाब की लिखेंगे अब मिलकर नई  कहानी ।

 एक जतिन था, एक भगत, एक सुभाष और एक था शेखर,
एक प्रताप था, एक था बिस्मिल, थी एक जीजाबाई ,
याद करों उन रण वीरों को और बोलो , क्या कोई है उनका सानी,
इसीलिए,  इन्कलाब की लिखेंगे अब मिलकर नई  कहानी ।

दौर नया है, लोग अलग हैं,
इस आज़ादी का एहसास अधूरा , पर जंग अपनी है ये पुरानी ,
 इन्कलाब की लिखेंगे अब मिलकर नई  कहानी ।

भय , भूख और भ्रष्टचार, अब नहीं सहेंगे,
बस कसम यही है खानी,
इन्कलाब की लिखेंगे अब मिलकर नई  कहानी ।


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