"काश्मीर जो खुद सूरज के बेटे की राझ्धानी थी,
डमरू वाले शिव शंकर की जो घाटी कल्याणी थी,
काश्मीर जो भू मंडल का स्वर्ग बताया जाता था,
जिसकी मिटटी को दुनिया में अर्घ चढ़ाया जाता था
काश्मीर जो भारत माता की आँखों का तारा था
लाल बहादुर को जो प्राणों से प्यारा था ,
काश्मीर वो डूब गया है अंधी गहरी खायी में,
फूलों की घाटी रोती है मरघट की तन्हाई में ।
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बस नारों में गाते रहिएगा कश्मीर हमारा है,
छूकर तो देखो हिम चोटी के निचे अंगारा है।
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हरी ओम पवार
ये कविता मैंने लगभग 10 वर्ष पहले सुनी थी, हरी ओम जी ने तो उससे काफी पहले लिखी होगी। सच में, जिस घाटी को स्वर्ग से भी बढ़कर बताया गया और कहा की अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो वो यहीं है, उस कश्मीर की ये हालत देखकर बहुत पीड़ा होती है । सच में बहुत दुःख होता है जब किस माँ का बेटा, बहन का भाई, किसी पत्नी का सुहाग इस साजिश का शिकार होता है। सीमा पार से कॉन्ट्रैक्ट किलर आके हमारे सिपाहियों को मार रहे हैं। माना एक सैनिक के लिए शहीद होना गर्व की बात होती होगी, पर हम कब तक इनकी शहादत का इम्तिहान लेते रहेंगे।
क्या सच में कश्मीरी भारत के साथ नहीं रहना चाहते ? क्या उनको पाक अधिकृत काश्मीर की हालत नहीं पता? क्या वो पाकिस्तान के साथ जाना चाहते हैं? क्या कश्मीरियों को नहीं पता की वो मुल्क जिसका नाम पाकिस्तान है उसकी हालत क्या है, फिर भी उन्हें पाकिस्तान के साथ जाना है तो मुझे समझ नहीं आता, की क्यों?
कश्मीरी अपना अलग आज़ाद देश बनाना चाहते हैं, सच में .....और अभी के हालात में ऐसा कभी हो भी पायेगा। और उससे भी बड़ी बात की जिस तरह जे & के को स्पेशल राज्य का दर्जा मिला हुआ है, और वहां के बजट का लगभग 50% भारत सरकार देती है कश्मीर का एक अलग देश बनकर क्या मिल जाएगा समझ नहीं आता।
मैं तो एक सीधा प्रशन खडा करना चाहता हूँ , हमने पिछले 30 वर्षों में कश्मीर को हमने किस नजरिये से देखा, क्या सच में हमने कभी ये चाहा की कश्मीर समस्या का कोई हल निकले। इस मुल्क ने कश्मीर के साथ कहीं सौतेला व्यहार तो नहीं किया,,,,.।
ऐसा आखिर क्या है की शान्ति, घाटी से डरती है, ऐसा क्यूँ है की आये दिन वहां की नौजवान अपनी जान दे रहे हैं ,,....
मुझे ऐसे सभी सवालों का केवल एक ही जवाब नज़र आता है की भारत ने कभी भी कोई ऐसी पहल नहीं की जिससे ये लगे की हम किसी समाधान की और बढ़ रहे हैं। एक बहुत सीधी सी बात है, जो गुट कश्मिर को भारत से अलग करना चाहते हैं और उस के लिए किसी भी हद तक जाते हैं वैसे लोगों से 'बातचीत' करना क्या एक मज़ाक नहीं है, लोगो को मुर्ख बनाना नहीं है?
हमारा पडोसी मुल्क जिसने 48 से लेके आज तक कश्मीर में हिंसा फैलायी है। उस मुल्क को हमने हर युद्ध में हराया फिर भी कश्मीर पे उस के रुख में कोई बदलाव नहीं, ऐसा मुल्क वर्तमान की कश्मीर समस्या का सबसे बड़ा दोषी है, उस मुल्क के साथ हमारे कैसे सम्बन्ध हों ये आज तक हम तय नहीं कर पाए हैं।
हद है, इतनी कोशिशें, इतनी कमिटियाँ, और ना जाने क्या-2 पर कश्मीर पिछले 30 से भी ज्यादा वर्षों से यु हि जल रहा है, और ना जाने कब तक जलता रहेगा। मुझे लगता नहीं है जो हालात अभी वहां के है , की कुछ होने वाला है। बस कुछ दिनों की ख़ामोशी और फिर वही धमाके, बंद करो ये सब। और शुरू करो एक सची सार्थक पहल अन्यथा "....बस नारों में गाते रहिएगा कश्मीर हमारा है, छूकर तो देखो हिम चोटी के निचे अंगारा है।....."
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