Sunday, December 28, 2014

हम अभी से क्या बताएं

बात और बिन बात कहना,
बोलकर खामोश रहना आजकल फैशन में है
कुछ न हो तो बस ये कह दो,
'वक़्त आने दे बता देंगे तुझे ओ आसमां 
हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है ' ।

देश का ठेका उठाये ,
मूढ़ता को सर बिठाए ,
हर गली कूचे गुजरना और सीना ठोक कहना ,
के वादी में बहुमत से हैं ,
हम अभी से क्या बताएं, क्या हमारे दिल में है।

इस धरा की शान देखो ,
मान और अभिमान देखो ,
फिर ना कहना के जहाँ की
किस्मत गर्दिश में है ,
हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है।

लाख कोशिश कर चुका हूँ ,
चीख कर भी थक चूका हूँ ,
अब यहीं बस तुम बता दो क्या तुम्हारे बस में है
बहुत हुआ हर बार कहना
'वक़्त आने दे बता देंगे तुझे ओ आसमां
हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है ' ।




**'वक़्त आने दे बता देंगे तुझे ओ आसमां हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है ' ।  यह अमर पंक्तियाँ शहीद बिस्मिल की हैं **

Friday, August 15, 2014

आज़ादी……

आज़ादी……, आज नहीं, तू किसी और दिन आना,
हाँ फिर कभी हमें बेवकूफ समझ, बहलाना - फुसलाना।


माफ़ करना इस देश में तेरा प्रवेश वर्जित है,
क्यूंकि मेरी और मुझसे पहले की पीढ़ी,
अभी तक ग़ुलामी से ग्रसित है।

यहां शिक्षा में मैकाले आज तक भी हावी है,
बांटो और राज करो की वही पुरानी बीमारी है,
हर दिन लाखों अन्न के दाने को मोहताज हैं,
और काले अंग्रेज बने देश के सरताज हैं।

ऐसे में तुझे कुछ और इंतज़ार करना पड़ेगा,
कुछ बरस और जब आने वाली पीढ़ी के सर से,
ग़ुलामी का यह भारी पत्थर हटेगा।

तब तक गर्मी - जाड़ा - बरसात, तू वहीँ बाहर खड़ी रहना,
आज़ादी……, आज नहीं, तू किसी और दिन आना।