वो दिन कब आएगा जब
यहाँ इन्कलाब होगा ,
वो दिन कब आएगा जब
सडकों पे सैलाब होगा......
पर सोचता हूँ फिर और कहता हूँ,
मुश्किल है योगेश, की कभी पूरा ,
तेरा ये ख्वाब होगा.
हाँ मुश्किल है, की गरीब के हाथ में
भी कभी कोई अधिकार होगा,
हाँ मुश्किल है की कभी ये देश,
बिस्मिल, अशफाक के सपनो सा होगा.
पर चुप नहीं रह सकता, बोलता हूँ,
और कहता रहूंगा, तब तक,
जब तक की ये मुल्क फिर से आबाद ना होगा.
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